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यूपीएससी पास करना किसी भी तरह से आसान नहीं कहा जा सकता। आईएएस और आईपीएस की नौकरी करके जितना बड़ा रूतबा हासिल किया जाता है, उतनी ही कठिन है यूपीएससी की परीक्षा पास करना। हर किसी के बूते की बात नहीं होती कि वह यूपीएससी की परीक्षा पास कर सके।

मगर आज हम आपको हरियाणा की एक ऐसी महिला की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने एक बार नहीं बल्कि तीन बार यूपीएससी की परीक्षा पास की। वह भी गर्भवती होने जैसे कठिन हालातों में। इसके बावजूद इस महिला ने हिम्मत नहीं हारी और यूपीएससी पास करने का अपना सपना पूरा कर लिया।

यहां बात कर रहे हैं हरियाणा के झज्जर जिले की रहने वाली पूनम दलाल दहिया की। जिन्होंने गर्भवती होते हुए भी यूपीएससी की परीक्षा दी और उसे पास करने का अपना सपना पूरा कर लिया। पूनम दलाल दहिया देश की उन हजारों महिलाओं के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं हैं, जोकि जरा सी मुश्किल आते ही हौंसला छोड़ देती हैं। मगर पूनम दलाल ने अपने जज्बे और हौंसले को कभी कम नहीं होने दिया। यूपीएससी में सिलेक्ट होने से पहले पूनम दलाल हरियाणा में डीएसपी के पद पर भी रही हैं। फिलहाल वह इंकम टैक्स विभाग में अस्सिटेंट कमिश्नर के पद पर कार्यरत हैं।

तो आईए आपको बताते हैं कि पूनम दलाल दहिया की संघर्ष और कठिन रास्तों से भरी कहानी, जिसे पढक़र महिलाओं को भी सफलता के रास्ते पर चलने की प्रेरणा मिलेगी। पूनम ने 21 साल की उम्र में ही एमसीडी के स्कूल में टीचर की नौकरी हासिल की थी। इस दौरान गेजुएशन करते हुए पूनम ने बैंक पीओ की परीक्षा दी, जिसमें वह पास हो गई। इस परीक्षा के पास होने पर पूनम ने टीचर की नौकरी छोडक़र बैंक में काम शुरू कर दिया।इस नौकरी के साथ ही उन्होंने अपनी किस्मत और हौंसले के बल पर एसएससी की परीक्षा दी, जिसमें उनकी देश भर में सातवीं रैंक आई। इसके बाद उन्होंने यूपीएससी करने की ठानी। 28 साल की उम्र में पूनम ने पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी। जिसमें वह पास तो हो गई, मगर मनचाही रैंक नहीं मिल पाई।

पहली बार यूपीएससी करने के बाद पूनम को रेलवे में आरपीएफ की रैंक मिली, जिसे उन्होंने स्वीकार नहीं किया और दोबारा से यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। दूसरी बार भी उन्हें पास होने पर कम रैंक के चलते रेलवे ही मिला। मगर इसे भी उन्होंने स्वीकार करने की बजाए तीसरी बार तैयारी करना बेहतर समझा।मगर तीसरी बार में उनके साथ किस्मत ने खूब मजाक किया। यूपीएससी में जनरल श्रेणी के लिए अधिकतम आयु सीमा 30 साल थी। पूनम ने जब तीसरी बार परीक्षा दी तो उनकी उम्र तय सीमा से पार हो गई थी। यह साल 2011 की बात है और पूनम का प्रीलिम्स क्लियर नहीं हुआ था। तब उम्र सीमा के चलते पूनम की यूपीएससी की यात्रा वहीं समाप्त हो गई थी।

लेकिन कहते हैं कि कुदरत के सामने किसी का बस नहीं चलता। किस्मत में लिखा हुआ कोई काट नहीं सकता। कुछ सालों बाद सरकार की ओर से एक नोटिफिकेशन जारी हुआ, जिसके जरिए घोषणा की गई कि जिस कैंडिडेटस ने साल 2011 में यूपीएससी की परीक्षा दी है, उसे इस परीक्षा को पास करने के लिए एक और अवसर प्रदान किया जा रहा है। पूनम ने इस अवसर को हाथ से ना जाने देने की ठान ली थी।यह साल 2015 की बात है, उस समय पूनम गर्भवती थी और नौंवा महीना चल रहा था। इसके बावजूद उन्होंने बिना थके और हार माने प्रीलिम्स की परीक्षा दी। इसके बाद जब मेन्स का पेपर आया तो उनका बेटा ढाई महीने का हो चुका था। लेकिन इस बार जब पूनम का रिजल्ट आया तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।