राज कपूर, बॉलीवुड के शोमैन। जिन्होंने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को एक नए मुकाम तक पहुंचाया। फिल्मों की नई परिभाषा दी। नई पहचान दी। कुछ नया लेकर आए। कुछ अलग किया। जिन्हें पद्म भूषण, दादासाहेब फाल्के और नेशनल अवॉर्ड से नवाजा गया। जिन्हें इंडियन सिनेमा का ‘चार्ली चैपलिन’ कहा गया। 5 साल की उम्र में प्ले तो 10 साल की उम्र में मूवी में एक्टिंग की। 24 की उम्र में अपना स्टूडियो बना डाला। ऐसी यादगार फिल्में बनाईं, जिन्हें लोग आज भी देखते हैं। जिनसे डायरेक्टर आज भी सीख लेते हैं। उनके बारे में आप पढ़ने और जानने बैठेंगे तो पूरा दिन बीत जाएगा। तमाम किस्से और कहानियां सुनने को मिलेंगी, लेकिन हम आपको वो बात बताने जा रहे हैं, जिसे सुनकर आप शायद चौंक जाएंगे। राज कपूर साहब खुद को ‘नग्नता का पुजारी’ मानते थे। उन्होंने अपनी ऑटो बायोग्राफी ‘राज कपूर वन एंड ओनली शोमैन’ में इसका खुलासा किया है। उन्होंने ये भी बताया कि दिमाग में इरॉटिक ख्याल तब आने लगे थे, जब वो अपनी मां के साथ बाथरूम में नहाते थे। ये ख्याल उनकी कला बन गई और ये कला फिल्मों में झलकने लगी। ‘राम तेरी गंगा मैली’ से ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ तक कई ऐसी फिल्में हैं, जिसमें एक्ट्रेसेस को भीगे बदन दिखाया गया। ऐसा क्यों, आइये जानते हैं।
राज कपूर (Rak Kapoor) ने अपनी जिंदगी के उन पलों के बारे में बताया, जब वो बच्चे थे। तब उनका परिवार बॉम्बे शिफ्ट हुआ था। वो लिखते हैं, ‘जिस माहौल में पला-बढ़ा, वो थियेटर और फिल्मों जैसा ही ही था। हम 1927 में बॉम्बे आए थे। उस समय साइलेंट फिल्मों का एरा था। मेरे पिता ने जे. ग्रांट एंडरसन थियेटर ज्वॉइन किया जहां अर्देशिर ईरानी ने इंडिया की पहली बोलती फिल्म ‘आलम आरा’ बनाई थी और पिता उसमें थे। मैं महज 5 साल का था, जब मैंने ‘द टॉय कार्ट’ प्ले में एक्ट किया था और इसके लिए मुझे पहले अवॉर्ड भी मिला था। उस समय मुझे शो बिजनेस के अलावा और कुछ नहीं दिखा।’
बॉलीवुड के शोमैन आगे बताते हैं कि बचपन में वो बहुत सुंदर थे। उनके पिता की एक्ट्रेसेस उन पर जान छिड़कती थीं। वो लिखते हैं, ‘मैं बहुत गोरा था। नीली आंखें थी। जब मैं स्टेज पर जाता था तो मेरे पिता की एक्ट्रेसेस मुझे कडल करती थीं। मैं बहुत एक्साइटेड फील होता था, लेकिन मैंने बहुत जल्दी भावनाओं को छिपाने की कला सीख ली थी। मैं कम उम्र में बहुत जल्दी मैच्योर हो गया था। मैं नग्नता का पुजारी था।’
राज कपूर के मन में इरॉटिक ख्याल उनकी मां की वजह से आए। उन्होंने लिखा है, ‘मेरे ख्याल से ये सब मेरी मां संग मेरी इंटिमेसी की वजह से शुरू हुआ था, जो उस वक्त यंग, सुंदर और पठान वुमेन होने के नाते शार्प फीचर वाली थीं। हम एक साथ नहाते थे और उन्हें नग्न देखने के बाद ही मेरे दिमाग में इरॉटिक वाले ख्याल आए। उर्दू में एक शानदार फ्रेज है- मुकद्दस उरियन यानी पवित्र नग्नता, जो इसे परफेक्टली डिस्क्राइब करता है। मेरी फिल्मों में नहाने वाले सीन जरूर होते हैं। महिलाओ ने शुरुआत में ही मेरी यादों पर कब्जा कर लिया और वो मेरी फिल्मों में अपीयर होने लगीं।’
राज कपूर ने लिखा है, ‘हम एक बार वेस्टर्न पंजाब गए थे, जो अब पाकिस्तान में है, वो मेरे पिता का बर्थ प्लेस था। मेरे ग्रेट ग्रैंडफादर वहां तहसीलदार थे और पूरे गांव में हमारे परिवार के लिए सम्मान था। गांव में महिलाएं आग पर चना भूजती थीं। मुझे याद है कि मैं चना खरीदने गया था। मैंने सिर्फ शर्ट पहनी थी, उसके नीचे कुछ नहीं पहना था। चना भूज रही महिला ने अजीब सी स्माइल दी और कहा, ‘तुम्हें चने के लिए पैसे देने की जरूरत नहीं है, तुम बस अपनी शर्ट ऊपर कर दो और दिखाओ। मैंने किया और खड़ा हो गया। वो महिला मुझे देखकर खूब हंसी।’
राज कपूर की जिंदगी में जो कुछ भी हुआ, उसका असर सिनेमा में देखने को मिला। उन्होंने लिखा, ‘मैं बहुत मासूम था। सालों बाद मैंने इस बारे में सोचा तो पाया कि उस महिला के दिमाग में कुछ था। कभी-कभी मेरी जिंदगी में चना सेक्स ऑब्जेक्ट बन जाता है। ये मेरे सिनेमा में भी दिखा। बॉबी में एक सीन है, जहां एक लड़का बॉबी के चेहरे पर आइने से रोशनी मारता है और वो लाइब्रेरी में बैठी होती है। लड़की पहले गुस्से में आती है और फिर हंसने लग जाती है। लड़का कहता है, चलो चाय पीते हैं, लेकिन बॉबी कहती है नहीं चलो चना खाते हैं।’
‘बॉबी’ मूवी साल 1973 में रिलीज हुई थी। इसमें उनके बेटे ऋषि कपूर और डिंपल कपाड़िया लीड रोल में थे। ये फिल्म इस वजह से भी चर्चा में रहती है, क्योंकि डिंपल ने उस जमाने में बिकिनी पहनी थी, जिससे सनसनी मच गई थी। बोल्ड सीन ने हंगामा मचा दिया था। राज कपूर की ये कला सिर्फ ‘बॉबी’ ही नहीं, बल्कि ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ और ‘राम तेरी गंगा मैली’ जैसी फिल्मों में भी देखने को मिलती है। ‘राम तेरी गंगा मैली’ का वो सीन कोई नहीं भूल पाता, जहां मंदाकिनी सफेद साड़ी पहनकर झरने में नहाती नजर आई थीं। उनका भीगा बदन साफ झलकता है। फिल्म में ऐसे ही कई सीन हैं। ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला था। जीनत अमान का भी भीगा बदन दिखाने में राज साहब पीछे नहीं रहे थे।