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हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में पिछले काफी समय में बदलाव देखने को मिला है। पहले जहां ज्यादातर प्रेम कहानी और एक्शन फिल्में बनती थीं तो वहीं अब सामाजिक मुद्दों पर भी फिल्में बनने लगी हैं। पहले इन मुद्दों पर छोटे स्तर पर फिल्में बनती थीं जिन्हें पर्दे पर ज्यादा लोग देखना पसंद नहीं करते थे लेकिन अब वक्त बदल रहा है। बड़े से बड़े सितारे समाज के उन मुद्दों पर खुलकर बात कर रहे हैं और फिल्म कर रहे हैं जिन्हें करने से पहले लोग कतराते थे।

ऐसे ही एक मुद्दा है कॉन्डम का जिस पर भारत में आज भी लोग खुलकर बात करने में शर्माते हैं। हर तरफ सुरक्षित संबंध बनाने की बात कही जाती है लेकिन इसके लिए जिस चीज का इस्तेमाल करना चाहिए लोग उसके बारे में बात करने में परहेज करते हैं। अब इसी मुद्दे को लेकर एक फिल्म आ रही है जनहित में जारी जिसमें नुसरत भरूचा मुख्य भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने इस फिल्म में दिए जा रहे मैसेज पर बात की है।

जनहित में जारी फिल्म में नुसरत एक सेल्स गर्ल की भूमिका निभा रही हैं जो कॉन्डम बनाने वाली कंपनी में काम करती है। ट्रेलर देखकर पता चल रहा है कि पहले वो इस काम के लिए तैयार नहीं होती है लेकिन फिर वो ये काम करने लगती है। हालांकि उसके जॉब के बारे में जब उसके घर वालों को पता चलता है तो बड़ी मुश्किल खड़ी हो जाती है। हालांकि हर किसी की नाराजगी सहकर भी वो लोगों को कॉन्डम बेचकर जागरूक करने का काम करती हैं।

एक चैनल से बात करते हुए नुसरत ने कहा कि जब भी हम कॉन्डम का एड देखते हैं तो उसमें दिखाया जाता है कि कॉन्डम के इस्तेमाल करने से अच्छा फील होता है। ऐसे में हम हमेशा पुरूष के नजरिए को उजागर करने की कोशिश करते हैं लेकिन ये फिल्म इस सोच को बदलने का काम करती हैं क्योंकि कॉन्डम का इस्तेमाल करना आदमी से ज्यादा औरतों के लिए जरूरी है।


नुसरत ने आगे कहा कि अगर पुरूष एक बार कॉन्डम का इस्तेमाल ना करे तो वो उसके लिए कोई बड़ी बात नहीं लेकिन महिला ना करे तो वो प्रेग्नेंट हो सकती है। इससे उनकी बॉडी पर असर पड़ता है। हां अबॉर्शन एक ऑप्शन है लेकिन क्या वो हमेशा सही होता है। इससे महिला की मेंटल हेल्थ पर असर पड़ता है। अगर कोई लड़का कॉन्डम नहीं रखता तो महिलाओं को सैनेटरी पैड्स की तरह कॉन्डम रखने चाहिए।

फिल्म में नुसरत के साथ एक्टर अनुद भी मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। अनुद ने कहा कि- हमारी देश की आबादी को देखकर ही समझ आता है कि यहां प्रोटेक्शन का इस्तेमाल कितना कम होता है। आज भी बहुत से शहरों में लोग प्रोटेक्शन का इस्तेमाल करने में हिचकिचाते हैं और इस वजह से अनचाही प्रेग्नेंसी हो जाती हैं। हमारे यहां महिलाओं को फिजिकल और इमोशनल कॉम्प्लेक्स के बारे में कुछ नहीं बताया जाता इसलिए उन्हें किसी चीज से फर्क नहीं पड़ता है। असली आदमी तो वही है जो महिलाओं की भावनाओं को समझता हो। फिल्म के ट्रेलर को दर्शकों ने खूब पसंद किया है अब देखना होगा कि फिल्म लोगों को कितनी पसंद आती है।