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आज से लगभग 50 साल पहले भारत में एक स्कूटर ने दस्तक दिया था, जिसने मिडिल क्लास भारतीयों में स्कूटर के क्रेज को ऐसा बढ़ाया कि इसे लेने के लिए लोग सालों इंतजार करने के लिए भी तैयार थे। इसकी वजह से कई शादियां टल गई थी, क्योंकि उस समय यह ट्रेंड बन गया था कि शादियों में दूल्हे को यही स्कूटर मिलना चाहिए। जी हां, हम बात कर रहे हैं हमारा बजाज के नाम से पहचाने जाने वाले बजाज चेतक स्कूटर ( Bjaja Chetak Scooter) की।

यह भारत के उन गिने-चुने स्कूटरों में से था, जिसने लगभग हर घर के आंगन में अपनी जगह बनाई। 70, 80 और फिर 90 के दशक तक इस स्कूटर ने भारतीय दोपहिया वाहन बाजार में राज किया। इस दौरान कई मॉडल आए और गए, लेकिन बजाज चेतक की जगह कोई नहीं ले सका।यूं कह लीजिए कि चेतक भारतीयों के लिए सिर्फ एक स्कूटर नहीं था, बल्कि इसने लोगों को सपना देखने और उसे पूरा करने का मौका दिया था। गोल्डन एरा सीरीज में आज हम भारत के इतिहास के सबसे लोकप्रिय स्कूटर के बारे में बात करेंगे।

दिवंगत उद्योगपति राहुल बजाज (Rahul Bajaj) ने एक सपना देखा था। एक ऐसा स्कूटर जो हर भारतीय की पहुंच में हो और जिसे लोग दिल से अपनाएं। इसी सपने को साकार करने के लिए कई सालों के मेहनत के बाद 1972 में 2-स्ट्रोक इंजन वाले चेतक को लॉन्च किया गया। उस समय भारतीय दोपहिया वाहन सेगमेंट में ज्यादा विकल्प लोगों के पास नहीं थे और कंपनी पहले से बजाज सुपर (Bajaj Super) नाम से एक मॉडल बेच रही थी। हालांकि, यह उतना हिट मॉडल नहीं था।

जब चेतक को लाया गया, तब इसकी 1000 यूनिट को बाजार में उतारा गया था और इसकी कीमत 8 से 10 हजार रुपये के बीच थी। यह अपने लाइनअप के दूसरे सारे मॉडलों से अलग था, जिसकी वजह से इसे खूब पसंद किया गया।उस दौर में ज्यादातर स्कूटर स्पिलिट सीट के साथ आते थे। यानी कि स्कूटर की सीट चालक और उसके पीछे बैठने वाले के लिए दो भागों में बटी हुई थी। ऐसे में इस तरह के स्कूटरों में तीन लोगों को बैठा पाना मुश्किल था।

भले ही आज दोपहिया वाहनों में एक साथ तीन लोगों को बैठाना ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन माना जात है, लेकिन हम आज से 50 साल पहले की बात कर रहे हैं और इस समय यह बहुत आम बात थी। ऐसे में बजाज चेतक पहला ऐसा स्कूटर था जो नॉन- स्पिलिट सीट के साथ आया और ग्राहकों ने इसे खूब पसंद किया। इसके आलवा, इसके शानदार डिजाइन, पीछे लगी स्टेपनी और गोल हेडलैंप ने इसे सिग्नेचर लुक दिया।

उस दौरान निर्माता एक ऐसे नाम की तलाश में थे जो स्कूटर के खूबियों को उजागर करें, साथ ही यह भारतीयों के भावनाओं के साथ भी जुड़ा हो। भारतीय इतिहास में महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम चेतक था, जो अपनी तेज रफ्तार और भरोसे के लिए जाना जाता है।बजाज के इस स्कूटर में भी अच्छी रफ्तार थी और इसका मकसद लोगों के भरोसे को जितना था। इसलिए, निर्माताओं ने इसे चेतक नाम दिया।

बजाज चेतक की डिमांड तो थी, लेकिन इसको असली पहचान इसके एक विज्ञापन ने दिलाई, जिसमें इसे हमारा बजाज कहकर बुलाया गया। इस विज्ञापन को लोगों ने इतना पसंद किया कि रातों-रात इस स्कूटर की डिमांड बढ़ गई।कहा जाता है कि पहले जहां इस स्कूटर की डिलीवरी के लिए 3 महीने तक इंतजार करना पड़ता था, वह बढ़कर 20 महीने तक हो गई थी। 1977 में कंपनी ने पहली बार चेतक की 1 लाख यूनिट बेची गई थी और 1986 में ये आंकड़ा 8 लाख तक पहुंच गया था।