बॉलीवुड डायरेक्टर अनुराग कश्यप अपनी फिल्म दोबारा को लेकर चर्चा में चल रहे हैं। ये एक साइंस फिक्शन फिल्म है जिसमें तापसी पन्नू ने लीड भूमिका निभाई है। अनुराग ने कुछ समय पहले बताया था कि क्यों साउथ इंडस्ट्री शानदार सिनेमा बना रही है। हालांकि अनुराग का ये भी मानना है कि चाहे हिंदी फिल्में हो या साउथ, दोनों ही इंडस्ट्री के हालात खास अच्छे नहीं हैं क्योंकि देश की इकोनॉमी के हालात अच्छे नहीं हैं।
अनुराग ने बॉलीवुड नाओ के साथ बातचीत में कहा कि ‘इस साल अब तक हिंदी में सिर्फ दो-तीन फिल्में(गंगूबाई काथियावाड़ी, कश्मीर फाइल्स, भुल भूलैया 2) चली हैं तो साउथ की भी दो तीन फिल्में(आरआरआर, पुष्पा, केजीएफ 2) ही अच्छा परफॉर्म कर पाई हैं।
अनुराग ने कहा कि क्या आप जानते हैं कि हाल-फिलहाल में कौन सी फिल्में साउथ की आई है? लोगों को नहीं पता है क्योंकि साउथ का उतना क्रेज नहीं है जितना दिखाया जा रहा है। समस्या ये है कि लोगों के पास सिनेमाहॉल में जाने के लिए पैसा नहीं है।उन्होंने आगे कहा कि देश की इकोनॉमी खराब है, महंगाई काफी ज्यादा है। लोग पनीर जैसी खाने की चीजों पर तो जीएसटी दे रहे हैं। महंगाई के हालातों से ध्यान भटकाने के लिए बायकॉट, बायकॉट खेल चलता है। आज के दौर में लोग तभी फिल्में देखने जा रहे हैं जब वे आश्वस्त हैं कि ये फिल्म सबको पसंद आ रही है, या उन फिल्मों का सालों से इंतजार था।
अनुराग ने कहा कि केजीएफ 2 का केजीएफ के बाद से लोग इंतजार कर रहे थे, आरआरआर का इंतजार लोग बाहुबली के बाद से कर रहे थे। पुष्पा और गंगूबाई काथियावाड़ी इसलिए चली क्योंकि जो देखने जा रहा था, उसे पसंद आ रही थी तो माउथ पब्लिसिटी हो गई। लोगों के जेब में पैसा नहीं बचा है इसलिए वे इक्का दुक्का फिल्में देखने जा रहे हैं। हमारी इकोनॉमी की हालत खराब है लेकिन लोगों को अहम मुद्दों से सिनेमा और क्रिकेट के द्वारा भटका दिया जाता है।
अनुराग ने ये भी बताया कि वे कुछ समय पहले अपनी ही फिल्म के बायकॉट की अपील क्यों कर रहे थे? उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि मेरी फिल्में लोगों को पसंद आती हैं लेकिन वे उन्हें कई साल बाद लैपटॉप पर देखते हैं। लोगों को पता ही नहीं चलता कि मेरी फिल्म रिलीज हो रही है। इसलिए मैं कह रहा हूं कि मेरी फिल्में बायकॉट करो ताकि लोगों को पता तो चले कि मेरी भी मूवी आ रही है।
अनुराग ने कहा कि मैं खुशकिस्मत हूं कि मैं जो फिल्में बनाना चाहता हूं, वो मुझे बनाने का मौका मिल रहा है। मैं हमेशा वही फिल्में बनाता हूं जिनसे मैं दिल से जुड़ाव महसूस करता हूं क्योंकि मुझे किसी से कोई कंपटीशन नहीं करना होता है और ना ही मुझे किसी का रिकॉर्ड तोड़ना होता है। उन्होंने कहा कि मुझे किसी से बड़ा नहीं बनना। मेरा बस मकसद होता है कि मैं अपने तरीके से फिल्म बनाऊं और अपने लोगों के साथ बनाऊं और बस प्रोड्यूसर को नुकसान ना होने पाए। मेरी फिल्में बजट से बाहर नहीं जाती।